कैलाशनाथ जौनपुर, लखनऊ ,फैजाबाद, पटना और महाराष्ट्र से एक साथ प्रकाशित होने वाले तरूण मित्र हिन्दी दैनिक और जौनपुर लखनऊ से निकलने वाले जवां दोस्त उर्दू दैनिक अखबार के समूह सम्पादक है। ये पत्रकारिता के साथ साथ सच्चे समाजसेवी है।
कैलाशनाथ की जिन्दगी डगर काफी कंटो भरा रहा है। ये पढ़ाई के साथ साथ अपने परिवार का जीवन यापन करने के लिए प्रिटिगं पे्रस में कम्पोजिटर का काम किया साथ में 9 वर्ष तक अखबार बाटते रहे। बाटा कम्पनी में सेल्स मैन रहे उसके बाद दर्जी की दुकान में कपड़ा भी सिला । अपनी कठोर परिश्रम के बल पर जो पैसा इक्कठा किया उससे विजय नामक खुद का प्रिटिंग प्रेस खोला। उसके बाद तरूण मित्र हिन्दी दैनिक और जवां दोस्त उदू दैनिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया। ये दोनो अखबार अपनी सफलता के चरम पर है। करीब 80 बंसत पार कर चुके कैलाश नाथ के अंदर आज भी कार्य करने का वही जज्बा कायम दिखता है।
पत्रकारिता के साथ साथ उनमें समाजसेवा करने का शौक है वे 5 नवम्बर 1995 को असहाय सहायता समिति नामक एक संस्था का गठन करके लावारिश लाशो का अंतिम संस्कार कराने जहरखुरानी के शिकार, सड़क दुर्घना में घायल लावारिश लोगो का दवा ,इलाज, खाने पीने का प्रबंध करते है जब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है उसके घर तक पहुंचाने का कार्य कर रहे है। इतनी ही नही भूली विसरी लड़कियो महिलाओं को उनके घर तक पहुंचाने का कार्य और असहाय लड़कियों की शादी कराने का जिम्मा उठाते चले आ रहे है।
अब तक उनकी संस्था द्वारा 1731 लावारिश लाशो का अंतिम संस्कार करा चुके है जिसमें 50 मुस्लिम समुदाय के शव को इस्लामिक रिति रिवाज से दफ्न कराया जा चुका है।
इस संस्था द्वारा एक अप्रैल 2010 से मोबाईल प्याऊ की शुरूआत किया जो भीषण गर्मी के मौसम नगर के प्रमुख चैराहो पर राहगीरो को पानी पिलाने का कार्य कर रही है।
कैलाशनाथ की पत्रकारिता और समाजसेवा करने के लिए राज्यपाल द्वारा पूर्वाचंल रत्न, प्रगति पर्यावरण संरक्षण समिति द्वारा जौनपुर रत्न, और उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उत्कृष्ट उद्यमी पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा तमाम स्थानीय संस्थाएं इन्हे सम्मानित कर चुकी है।
शव के अंतिम संस्कार में महत्व पूर्ण योगदान देने वालो में फूलचंद्र साहू अलफस्टीगंज हवन सामग्री देते है कफन का इंतजाम दीपक चिटकारिया करते है और देशी घी देने का जिम्मा रतन साहू ओलन्दगंज उठाते है। इसके अलावा संस्था के सौ सदस्य है जो क्रमवार अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी देने का काम करते है।