जौनपुर जो "शिराज़-ए-हिंद" के नाम से भी मशहूर हैं, भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। मध्यकाल में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर गोमती नदी के दोनों तरफ़ फैला हुआ है। कभी यह अपने इत्र और सुगंधित चमेली के तेलों के लिए मशहूर था लेकिन आज वहाँ इत्र तो कभी कभार दिख जाता है लेकिन चमेली का तेल तलाशना मुश्किल हो जाता है.
लेकिन जौनपुर शहर की हरे उड़द, देशी चीनी और देशी घी से लकड़ी की आंच पर बनी लजीज ‘इमरती’ अब भी देश-विदेश में धूम मचा रही है. शहर के ओलन्दगंज के नक्खास मुहल्ले मैं बेनीराम कि दूकान वाली इमारती कि बात हे और है. बेनीराम देवी प्रसाद ने सन 1855 से अपनी दुकान पर देशी घी की ‘इमरती’ बनाना शुरू किया था.उस गुलामी के दौर मैं भी बेनीराम देवीप्रसाद कि इमरती सर्वश्रेष्ट मणि जाती थी. उसके बाद बेनी राम देवी प्रसाद के उनके लड़के बैजनाथ प्रसाद, सीताराम व पुरषोत्तम दास ने जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती की महक तक बनाए रखी .अब जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती को बेनीराम देवी प्रसाद की चौथी पीढ़ी के वंशजों रवीन्द्रनाथ, गोविन्, धर्मवीर एवं विशाल ने पूरी तरह से संभाल लिया है और इसे विदेश भी भेजा जाने लगा है. जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती आज तकरीबन 153 वर्ष पुरानी हो चुकी है और उसका स्वाद और गुणवत्ता अभी भी बरकरार है.
जब कभी आप जौनपुर आयें तो ओलन्दगंज से ताज़ी इमारती का स्वाद चखना ना भूले जबकि इसे १० दिन तक बिना फ्रिज के ताज़ा रखा जा सकता है लेकिन ताज़ी नर्म इमारती कि बात ही और हैं.